मूलतः विवादक तथ्य मौलिक विधि द्वारा निश्चितहता है और यह ऐसे तथ्य होते हैं जिनके साबित हो जाने पर पत्रकारों के अधिकार तथा दायित्वों का जन्म होता है।
साक्ष्य क्या होता है
साक्ष्य अंग्रेजी Evidence का लैटिन शब्द Evidere शब्द से निकला है जिसका तात्पर्य होता है साबित करना या किसी तत्व को सुनिश्चित करना भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 2 का उपखंड (1) ड़ मे दिया है लेकिन साक्ष्य की परिभाषा 1872 के साक्ष्य अधिनियम से थोड़ा अंतर प्राप्त होता है
सन् 2023 की परिभाषा के अंतर्गत मौखिक साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक रूप से दिए गए कथन भी शामिल किए गए हैं, और दस्तावेज साक्ष्य के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख के साथ-साथ डिजिटल अभिलेख को भी सम्मिलित किया गया है।
सामान्य अर्थों में “साक्ष्य” शब्द विधि के संबंध में, केवल तर्कों को छोड़कर उन सभी विधिक साधनों को शामिल करता है जो किसी तथ्य की सत्यता या असत्यता को साबित करने या न साबित करने का प्रयास करते हैं, जो न्यायिक कार्यवाही के अधीन है।
साक्ष्य की परिभाषा
साक्ष्य शब्द का अर्थ “सत्य के विपरीत” है और इसके अंतर्गत निम्नलिखित दो प्रकार के साक्ष्य आते हैं —
1. मौखिक साक्ष्य (Oral Evidence)
सभी प्रकार के कथन, जिनके अंतर्गत सभी इलेक्ट्रॉनिक रूप से दिए गए कथन शामिल हैं, जिन्हें न्यायालय तथ्यों के विषय के संबंध में साक्षी को अपनी समझ से किए जाने की अनुमति या अपेक्षा रखता है — मौखिक साक्ष्य कहलाते हैं।
2. दस्तावेज साक्ष्य (Documentary Evidence)
न्यायालय के निरीक्षण के लिए प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेज, चाहे वे इलेक्ट्रॉनिक हों या डिजिटल अभिलेख, दस्तावेज साक्ष्य कहलाते हैं।
अंग्रेज़ी विधि के अंतर्गत साक्ष्य
अंग्रेजी विधि में सर जेम्स स्टीफन (Sir James Stephen) ने साक्ष्य का प्रयोग तीन अर्थों में किया —
1. न्यायालय में बोले गए शब्द और प्रदर्शित वस्तुएँ।
2. उन शब्दों या वस्तुओं द्वारा सिद्ध तथ्य, जिसके आधार पर सिद्ध न हुए तथ्यों के संबंध में अनुमान का आधार माना जाता है।
3. जांच के अधीन किसी विषय के लिए किसी विशेष तथ्य की प्रासंगिकता या मौजूदगी।
भारतीय विधि में साक्ष्य
भारतीय विधि (Bhartiya Vidhi) के तहत साक्ष्य की परिभाषा में दो प्रकार के साक्ष्य शामिल किए गए हैं —
1. मौखिक साक्ष्य (Oral Evidence)
2. दस्तावेज साक्ष्य (Documentary Evidence)
विद्वानों द्वारा इस परिभाषा की आलोचना की जाती है और इसे बहुत ही संकीर्ण परिभाषा कहा जाता है, क्योंकि किसी बात को साबित करने के लिए अन्य माध्यम भी होते हैं जो साक्ष्य की इस परिभाषा में शामिल नहीं किए गए हैं, जैसे — वास्तविक साक्ष्य (Real Evidence)।
वास्तविक साक्ष्य (Vastvik Sakshya) के अंतर्गत
खून से सना हथियार
खून से रंगे हुए कपड़े
चुराई हुई वस्तुएँ आदि शामिल हैं।
अन्य रूपों में साक्ष्य
2. साक्षी की भाव और भंगिमा (Demeanor of Witness)
3. न्यायिक अवलोकन (Judicial Notice) — वे तथ्य जिनका न्यायालय स्वयं अवलोकन कर सकता है।
साबित (Proved) के तहत
“साबित” शब्द का तात्पर्य यह नहीं है कि उपरोक्त तत्वों को साक्ष्य अधिनियम के तहत ही स्वीकार किया जाएगा, बल्कि इसे “साबित” के तहत स्वीकार किया जाएगा।
न्यायालय इस आधार पर मामले का निरीक्षण कर सकेगा और निर्णय तक पहुँच सकेगा।
अनुचित रूप से प्राप्त किए गए साक्ष्य और उनसे संबंधित प्रमुख वाद
1. R बनाम सैंग (R v. Sang)
इस प्रसिद्ध निर्णय में हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने यह कहा कि –
"चाहे साक्ष्य अनुचित रूप से प्राप्त क्यों न हुआ हो, यदि वह अभियुक्त के दोष को साबित करता है, तो न्यायालय ऐसे साक्ष्य का अपवर्तन (Exclusion) नहीं कर सकता।"
अर्थात, यदि साक्ष्य किसी अनुचित या अवैध तरीके से प्राप्त किया गया है, फिर भी यदि वह सत्यता को प्रकट करता है, तो न्यायालय उसे स्वीकार कर सकता है।
2. वीरेंद्र कुमार घोष बनाम एंपरर (Virendra Kumar Ghosh v. Emperor)
इस मामले में न्यायालय ने यह सिद्धांत स्थापित किया कि –
सुसंगत साक्ष्य सुसंगत ही रहता है, चाहे वह साक्ष्य विधि का अतिक्रमण करते हुए ही क्यों न प्राप्त किया गया हो।"
अर्थात, साक्ष्य की वैधता उसके प्राप्त करने के तरीके पर नहीं, बल्कि उसकी सुसंगति और प्रामाणिकता पर निर्भर करती है।
3. पुष्पा देवी जातिया बनाम एम.एल. बाधवा (Pushpa Devi Jatia v. M.L. Badhwa)
इस मामले में न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि –
"यदि कोई साक्ष्य, साक्ष्य अधिनियम की परिभाषा में सम्मिलित हो जाता है, तो न्यायालय को यह जानने की आवश्यकता नहीं है कि वह साक्ष्य किस प्रकार प्राप्त किया गया है।"
अर्थात, साक्ष्य की स्वीकार्यता उसके स्रोत या प्राप्ति के तरीके पर निर्भर नहीं करती।
साक्ष्य के प्रकार (Types of Evidence)
साक्ष्य को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है —
1. प्रत्यक्ष साक्ष्य (Direct Evidence)
2. परिस्थितिजन्य साक्ष्य (Circumstantial Evidence)
3. वास्तविक साक्ष्य (Real Evidence)
4. अनुश्रुत साक्ष्य (Hearsay Evidence)
5. प्राथमिक साक्ष्य (Primary Evidence)
6. द्वितीयक साक्ष्य (Secondary Evidence)
7. मौखिक साक्ष्य और दस्तावेजी साक्ष्य (Oral and Documentary Evidence)
परस्पर संबंध (Interrelation of Evidence)
साक्ष्य के ये सभी प्रकार परस्पर व्यापी (Overlapping) होते हैं, न कि एक-दूसरे से अपवर्जित (Exclusive)।
उदाहरण के लिए —
किसी भी प्रकार का परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी मौखिक साक्ष्य या प्रत्यक्ष साक्ष्य हो सकता है।