लिखत शब्द में संगम या नीचे शामिल नई है
धारा 26के खंड 1 के तहत जब पक्षकारों के कपट या पारस्परिक भूल के कारण कोई लिखत संविदा यदि वास्विक आशय को प्रगट नहीं कर पा रही है तो इसी स्थिति में पक्षकार या उसके hitpartinidi हितप्रतिनिधि वाद दाखिल कर के प्रसिद्धि के सकते है यदि किसी ऐसे लिखत में कोई अधिकार विवादक या हो या प्रतिवादी किसी अन्य प्रतिरक्षा के साथ जो उसके लिखत हो या उपलब्ध हो प्रसिद्धि की मांग कर सकता है।
उदाहरण क ख को अपन घर और उसके बगल स्थित तीनों गोदामों में से एक को बेचने का इच्छा रखता है ख द्वारा लिखत दस्तावेज तैयार किया गया जिसमें ख कपट के माध्यम से तीनों गोदामों को शामिल के लेता है इसी स्थिति में ऐसे लिखत दस्तावेज को परिशुद्दि किया जा सकता है
खंड 2 यदि किसी वाद में संविदा या लिखत को परिशुद्दि करना इच्छुक हो या न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कपट या भूल के कारण पक्षकारों के वास्तविक आशय अभिव्यक्त नहीं होता तो न्यायालय स्वविवेक से ऐसे लिखत को परिशोधित करने का आदेश दे सकता है लेकिन शर्त यह है कि जहां तक व्यक्तियों सद्भाव पूर्वक मूल्य दे कर अर्जित किया है उस पर कोई प्रभाव न डाले ।
उदाहरण क ख को अपन घर और उसके बगल में स्थित तीन गोदामों में से एक को बेचने का आशय रखते हुए ख द्वारा तैयार किए गए लिखत को निष्पादित करता है तीनों गोदामों को शामिल कर लिया
और उस लीखत में ख ने कपट के माध्यम से प्राप्त किए गए तीनों गोदामों को के g को और दूसरा किराए पर घ को देता है न तो g को नहीं gh को धोखाधड़ी के बारे में ख को पता था
ख और ग के विरुद्ध हस्तांतरण को संशोधित किया जा सकता है ताकि ग को दिए गए गोदाम को बाहर रखा जा सके लेकिन इसे संशोधित नहीं किया जा सकता जिससे घ के पत्ते पर संशोधित कर सके।
विवाह के समझौते के द्वारा B का पिता A B के पति C से एक संविदा करता है C उसके निष्पादकों और प्रशासकों को A के जीवन कल में 5000रुपए वार्षिक देगा। C दिवालिया ho kr mar jata है और A के निष्पादक और प्रशासक उससे वार्षिकी का दावा करते है न्यायालय यह स्पष्ट रूप से सिद्ध पाते हुए कि पछाकरो का हमेशा से ही ये इरादा है कि इस वार्षिकी का भुगतान B और उसके बच्चों के लिए प्रावधान के रूप में किया जाना चाहिए और इसी स्थिति में वह संविदा को संशोधित कर सकता है कि प्रशासकों से वार्षिकी पर कोई अधिकार नहीं है
खंड 3 के तहत कोई भी संविदा पहले परिशोधित की जा सकेगी जब प्रसिद्धि का दावा करने वाले पक्षकार ने अविवचन में इसी प्रार्थना की हो ।
खंड 4न्यायालय लिखत में परिशुद्दि का अनुतोष तब तक प्रदान नहीं करेगा जब तक उसका दावा नहीं किया गया हो लेकिन यदि जब किसी पक्षकार ने अभिवचन में प्रसिद्धि का दावा न किया हु तो वह ऐसा करने के लिए अभिवचन में संशोधन की अनुमति दे सकता है
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