भारत की न्यायिक प्रणाली में समन (Summons)
भारत की न्यायिक प्रणाली में समन (Summons) एक अत्यंत महत्वपूर्ण विधिक दस्तावेज़ है।
यह ऐसा आदेश है, जिसे न्यायालय द्वारा लिखित रूप में जारी किया जाता है, ताकि किसी व्यक्ति को यह सूचित किया जा सके कि उसे किसी विधिक कार्यवाही में उपस्थित होना है।
आम तौर पर यह आदेश अभियुक्तों और साक्षियों दोनों को दिया जा सकता है।
2023 में जब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) लागू हुई,
तो इसमें समन से संबंधित प्रावधानों को धारा 63 से 71 तक विस्तारपूर्वक रखा गया।
यह प्रावधान पुराने दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 61 से 69 का ही आधुनिक, तकनीकी रूप है।
समन का उद्देश्य
किसी भी न्यायिक प्रणाली का उद्देश्य केवल अपराधी को दंडित करना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि न्यायिक कार्यवाही निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
समन इसी उद्देश्य की पूर्ति करता है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं–
- सूचना देना – समन प्राप्त करने वाले को यह स्पष्ट हो जाता है कि उसके विरुद्ध या उसके संबंध में कोई न्यायिक कार्यवाही चल रही है।
- उपस्थिति सुनिश्चित करना – अभियुक्त या साक्षी को न्यायालय में लाना, ताकि कार्यवाही में देरी न हो।
- निष्पक्ष सुनवाई का अवसर – समन प्राप्त व्यक्ति को अपना पक्ष रखने, साक्ष्य प्रस्तुत करने या गवाही देने का अवसर मिलता है।
उदाहरण:
मान लीजिए, किसी व्यक्ति पर चोरी का आरोप है। पुलिस जांच के बाद चार्जशीट दाखिल करती है और न्यायालय उस पर विचार करता है।
अब उस अभियुक्त को न्यायालय में बुलाने के लिए समन जारी किया जाएगा।
यदि वह व्यक्ति साक्षी है, तो भी समन के माध्यम से उसकी उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।
1. समन का प्रारूप – धारा 63
- प्रत्येक समन लिखित रूप में और दो प्रतियों में जारी होना चाहिए।
- उस पर न्यायालय के पीठासीन अधिकारी का हस्ताक्षर और न्यायालय की मुद्रा होनी चाहिए।
- समन को गूढ़लिखित (Encrypted) या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी भेजा जा सकता है।
- डिजिटल रूप से जारी समन पर डिजिटल हस्ताक्षर या न्यायालय की इलेक्ट्रॉनिक सील होनी चाहिए।
2. समन की तामील कैसे की जाए – धारा 64
- यदि संभव हो, समन की तामील व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से की जाएगी।
- समन की एक प्रति व्यक्ति को दी जानी चाहिए।
- यदि व्यक्ति घर पर न मिले, तो समन उसके निवास पर किसी के पास छोड़ा जा सकता है।
- तामील करने वाला अधिकारी, मूल समन पर व्यक्ति के हस्ताक्षर पावती के रूप में प्राप्त करेगा।
3. कंपनियों, फर्मों और सोसाइटी पर समन की तामील – धारा 65
- कंपनी या निगम पर समन उसके निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी को तामील करके किया जाएगा।
- फर्म या संगम पर समन उसके किसी भागीदार को तामील करके या भागीदार के पते पर रजिस्ट्रीकृत डाक से भेजकर किया जाएगा।
4. जब समन किया गया व्यक्ति न मिले – धारा 66
- यदि समन किया गया व्यक्ति घर पर न मिले, तो समन उसके परिवार के किसी वयस्क सदस्य के पास छोड़ा जा सकता है।
- तामील करने वाला अधिकारी, दूसरी प्रति पर रसीद लेगा।
- ध्यान दें – नौकर या सेवक को परिवार का सदस्य नहीं माना जाएगा।
5. जब पूर्व विधियों से तामील न हो सके – धारा 67
- तामील करने वाला अधिकारी समन की एक प्रति व्यक्ति के घर या वासस्थान के सहजदृश्य भाग में चिपकाएगा।
- न्यायालय जांच के बाद—
- या तो तामील को सम्यक् घोषित कर सकता है
- या नई तामील का आदेश दे सकता है।
6. सरकारी सेवक पर समन की तामील – धारा 68
- सरकारी सेवक को समन उसके कार्यालय के प्रधान के माध्यम से तामील होगा।
- कार्यालय प्रमुख इसे धारा 64 के अनुसार तामील कराएगा।
- वह अधिकारी हस्ताक्षरित पावती सहित समन न्यायालय को लौटाएगा।
- यह हस्ताक्षर सम्यक् तामील का प्रमाण होगा।
7. स्थानीय सीमा के बाहर तामील – धारा 69
- यदि समन की तामील न्यायालय की स्थानीय सीमा के बाहर करनी हो—
- समन उस स्थान के मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा।
- मजिस्ट्रेट BNSS के अनुसार समन की तामील करेगा।
8. तामील का सबूत – धारा 70
- जब तामील न्यायालय की स्थानीय सीमा के बाहर की गई हो और तामील अधिकारी सुनवाई के समय उपस्थित न हो,
- तो शपथपत्र और समन की दूसरी प्रति साक्ष्य के रूप में ग्राह्य होगी।
- ध्यान दें – धारा 64 से 71 के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक तामील किए गए समन भी सम्यक् तामील माने जाएंगे।
- इनकी एक प्रमाणित प्रति समन की तामील के सबूत के रूप में रखी जाएगी।
9. साक्षी पर समन की तामील – धारा 71
- साक्षी पर समन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या उसके निवास/कारोबार पते पर रजिस्ट्रीकृत डाक द्वारा भेजा जा सकता है।
- यदि साक्षी समन लेने से इंकार कर दे, और डाक कर्मचारी इसका पृष्ठांकन कर दे, तो न्यायालय इसे सम्यक् तामील मान सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में समन और उसकी तामील से संबंधित प्रावधान अत्यंत स्पष्ट और व्यावहारिक हैं।
इससे यह सुनिश्चित होता है कि हर संबंधित व्यक्ति को विधिक कार्यवाही की सूचना मिले।
अभियुक्त और साक्षी दोनों की उपस्थिति न्यायालय में सुनिश्चित होती है।
इलेक्ट्रॉनिक तामील ने प्रक्रिया को तेज़, सुरक्षित और पारदर्शी बना दिया है।
इस प्रकार, समन की प्रभावी तामील केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि न्याय मिलने की पहली और महत्वपूर्ण शर्त है।
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